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श्री पराशर संहिता – श्री हनुमच्चरितम् – किनका ख्या कहना है?

श्री राम जय राम जय जय राम

श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम् श्रीराम राम भरताग्रज राम राम |
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम् श्रीराम राम शरनं भव राम राम ||

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे |
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ||

श्री हनुमते नमः

श्री पराशर संहिता

किनका ख्या कहना है?

कुर्तालम के श्री सिद्देश्वरी पीठ के आचार्य जगद्गुरु श्री शिव चिदानन्द भारती स्वामी के अनुसार यह ग्रन्थ सभी लिपियों में प्रकाशित होना चाहिये | हनुमान केवल त्रेतायुगीय रामायण के योद्दा नहीं बल्कि ये चिरंजीवी है और ये भविश्यद ब्रह्मा है |

तर्क्वेदान्तसम्राट और महामहोपाध्याय श्री मद्दुलपल्लि माणिख्यशास्त्रि का कहना है कि यह पराशर संहिता हनुमदुपासना को बताने वाला एक महान ग्रन्थ है जो कालक्रम में अन्तर्हित हो गया और इनके अनुसार ऐहिक और आमुष्मिक फलप्राप्ति के लिये हनुमान उपासनीय और आराधनीय है |

राष्ट्रिय संस्कृत विध्यापीठ तिरुपति के पूर्वकुलपति आचार्य एस बी रघुनाथाचार्य के अनुसार य ग्रन्थ सम्पूर्ण और समृद्ध है और इसका अध्ययन मानसिक परिश्रम के बजाय मानसिक सन्तुष्टि के प्रदान करता है |

हैदराबाद स्थित उस्मानिया विश्वविध्यालय के विश्रान्त आचार्य डा. पुल्लेल श्रीरामचन्दृडु के अनुसार हनुमान के सन्दर्भ में जनता को विवरण केवल वाल्मीकि रामायण से ही मिलता है और पराशर संहिता के अध्ययन से हनुमदुपासना के लिये आवश्यक तन्त्र मन्त्र और यन्त्रों का सम्पूर्ण विवरण उपलब्ध होता है | साथ ही इस संहिता के अनुसार आनेवाले कल्प का स्त्रष्टा भी श्री हनुमान ही है |

काशी हिन्दू विश्वविध्यालय के विश्रान्त आचार्य श्री जोश्युल सूर्यप्रकाशराव के अनुसार य ग्रन्थ बहुत विषय एवं विषयान्तरों से परिपुष्ट और विझ्नालक्षण संयुत है | सात प्रकार का हनुमतमहाविध्या और तेरह हनुमत पीठों का विपुल वर्णन इसी संहिता में उपलब्ध है | यह हनुमान आध्यात्मिक विषय में परमाचार्य है |

काशी हिन्दू विश्वविध्यालय के गब्बिट आंजनेयशास्त्रि के अनुसार ग्रन्थान्तरों में अनुपलब्ध हनुमद्देवता सम्बन्धी अनेक विषय इस ग्रन्थ में उपलब्ध हैं जो हनुमदभक्तों के महान उपकार क लिये है |

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